यूपी और बिहार के बीच सफर करने वाले लोग हमेशा से यही सोचते रहे हैं कि काश सड़कें थोड़ी तेज और आसान हो जाएं ताकि लंबा रास्ता जल्दी खत्म हो सके। अब यह सपना सच होने जा रहा है क्योंकि वाराणसी से पटना तक एक नया एक्सप्रेसवे बनने जा रहा है। इसकी लागत लगभग अठारह हजार करोड़ रुपये तय की गई है और खास बात यह है कि यह सफर, जो अभी छह से सात घंटे में पूरा होता है, आने वाले समय में सिर्फ तीन घंटे में हो सकेगा।
यात्रियों और व्यापारियों के लिए राहत
यह प्रोजेक्ट सिर्फ आम लोगों की सुविधा तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि व्यापार और रोज़गार पर भी बड़ा असर डालेगा। तेज़ कनेक्टिविटी से वाराणसी और पटना के बीच व्यापारिक गतिविधियाँ तेज होंगी। लोकल उत्पाद (जैसे बनारसी साड़ी और पटना की मिठाइयाँ) बड़े बाज़ार तक आसानी से पहुँच सकेंगी। किसान भी अपनी उपज अब बिना समय गंवाए शहरों में बेच पाएंगे जिससे उनकी आय बढ़ेगी।
रोजगार का नया अवसर
निर्माण के दौरान हज़ारों लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा। इसके अलावा एक्सप्रेसवे के आसपास छोटे व्यवसाय, होटल और इंडस्ट्रियल क्लस्टर भी विकसित होंगे। इससे युवाओं के लिए नए अवसर खुलेंगे और लोगों को अपने ही राज्य में काम मिल सकेगा।
आधुनिक सुविधाओं से सजा एक्सप्रेसवे
इस प्रोजेक्ट की खासियत यह होगी कि इसे पूरी तरह आधुनिक सुविधाओं से तैयार किया जाएगा। इसमें छह लेन की चौड़ी सड़क होगी। हर पचास किलोमीटर पर फूड कोर्ट और टोल प्लाज़ा बनाए जाएंगे। सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे और इमरजेंसी हेल्पलाइन भी उपलब्ध रहेगी। कुल लागत अठारह हजार करोड़ रुपये है और इसे अगले चार सालों में पूरा करने की योजना बनाई गई है।
विकास की नई तस्वीर
वाराणसी-पटना एक्सप्रेसवे सिर्फ सड़क नहीं बल्कि विकास की नई तस्वीर बनेगा। यह दोनों राज्यों के बीच नजदीकी बढ़ाएगा, रिश्तों को मजबूत करेगा और आर्थिक-सामाजिक विकास को नई दिशा देगा। अब लोग लंबे सफर से परेशान नहीं होंगे बल्कि तीन घंटे में आराम से घर और काम तक पहुँच सकेंगे।